करवेश
करोशी की
मुख़्तसर तारीख़
आफ़ताब आलम दस्तगीर पटेल करोशी
बेलगाम कर्नाटक
8105493349
अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
तारीख़ एक ऐसा मज़मून है जिस कि ज़रीया माज़ी के आईने में झांक कर हाल को सँवारा जा सकता है ।मुझे बचपन ही से तारीख़ से दिलचस्पी रही है, इस की एक वजह ये भी रही ,कि घर के बड़े बुज़ुर्गों से अपने आबा-ओ-अज्दाद के क़िस्से सुनना , उनके तौर-तरीक़े ,उनका अंदाज़-ए-ज़िंदगी , इनका रहन सहन ,मौसम , खेत खलियान , तहज़ीब-ओ-तमद्दुन, इन सारी चीज़ों की वजह से मेरा ज़हन तारीख़ से दिलचस्पी लेने लगा , जब स्कूल जाने लगे तो असातिज़ा ने मुस्लमान हुकमरानों की तारीख़ का वो नक़्शा हमारे सामने पेश किया जिसके नक़्श अब तक दिल-ओ-दिमाग़ पर छाए हुए हैं और उन्हें अय्याम में हर साल एक शख़्स आया करता था जो अब भी आता है जिसे "हैढ़वा कहते हैं जो अपनी डायरी में घर के नए पैदा शुदा बच्चों के नामों का इंदिराज कर के हमारे ख़ानदान का शिजरा नसब पढ़ कर सुनाता है और इस वक़्त की मौजूदा फ़सल या रुपय पैसे लेकर चला जाता है।इस का पिछ्ला सफ़र 25 अक्तूबर 2018 को हुआ था जिसमें उसने मेरे फ़र्ज़ंद के नाम का दर्ज कर लिया था इस शख़्स की वजह से और भी ज़्यादा हमारे बुज़ुर्गों की तारीख़ जानने का शौक़ पैदा हुआ , जब मैंने कॉलेज में दाख़िला लिया तो वहां आलमी तारीख़ पढ़ने का मौक़ा मिला और बीजापूर के दो साला क़ियाम और वहां से वापसी के बाद, हाल ऐसा हुआ कि हर पुरानी चीज़ जिस पर क़दामत के आसार ज़ाहिर होते थे चाहे वो किसी किताब का एक बोसीदा सफ़ा ही ना क्यों हो उसे सँभाल कर रखने की आदत पढ़ गई,जो आज तक क़ायम है जब इस "हीड़वे का पिछ्ला सफ़र हुआ था उस वक़्त मैं ने अपने आबा-ओ-अजदाद के नाम तहरीर करवा लिए थे जिसे मैंने मुंदरजा ज़ैल तहरीर कर दिए हैं
करोशी के पटेल ख़ानदान का शिजरा नसब
(1)मकतूम पटेल की औलाद मुहम्मद पटेल गड्डा
कहलाती है
(2)सिराज पटेल की औलाद बाला पटेल गड्डा कहलाती है
(3)क़ादिर पटेल की औलाद लाडो पटेल गड्डा कहलाती है
(4)इमाम पटेल की औलाद मकतूम पटेल गड्डा कहलाती है
(5)दरवेश पटेल की औलाद मीराँ पटेल गड्डा कहलाती है
(6)बापू उर्फ़ बाला पटेल की औलाद घोड़ो पटेल गड्डा कहलाती है
हर गड्डे के अफ़राद का मुख़्तसर तआरुफ़
1۔ मुहम्मद पटेल गड्डा
आबादी के एतबार से या गड्डा अव्वल नंबर पर है,इस गड्डे की अहम ख़ुसूसीयत ये है कि अल्लाह ताला ने इस गड्डे के अफ़राद को बहादुरी शुजाअत और किसी काम को आगे बड़ चढ़ कर करने की नेअमत से नवाज़ा है , इस गड्डे अक्सर-ओ-बेशतर अफ़राद दुनियावी एतबार से बड़े बड़े ओहदों पर काम कर चुके हैं और कर हैं।
(2)सिराज पटेल की औलाद बाला पटेल गड्डा कहलाती है
(3)क़ादिर पटेल की औलाद लाडो पटेल गड्डा कहलाती है
(4)इमाम पटेल की औलाद मकतूम पटेल गड्डा कहलाती है
(5)दरवेश पटेल की औलाद मीराँ पटेल गड्डा कहलाती है
(6)बापू उर्फ़ बाला पटेल की औलाद घोड़ो पटेल गड्डा कहलाती है
हर गड्डे के अफ़राद का मुख़्तसर तआरुफ़
1۔ मुहम्मद पटेल गड्डा
आबादी के एतबार से या गड्डा अव्वल नंबर पर है,इस गड्डे की अहम ख़ुसूसीयत ये है कि अल्लाह ताला ने इस गड्डे के अफ़राद को बहादुरी शुजाअत और किसी काम को आगे बड़ चढ़ कर करने की नेअमत से नवाज़ा है , इस गड्डे अक्सर-ओ-बेशतर अफ़राद दुनियावी एतबार से बड़े बड़े ओहदों पर काम कर चुके हैं और कर हैं।
इस गड्डे की ख़ुसूसीयत ये है कि अल्लाह ताला ने बैयकवक़त इस गड्डे में ऐसे अफ़राद पैदा किए हैं जो देनवी और दुनयवी ज़िंदगी में अपना नाम रोशन किया
3۔ लाडो गड्डा
इस गड्डे के अक्सर-ओ-बेशतर अफ़राद को अल्लाह ताला सयासी समझ बूझ अता की है
6،5،4 : मकतूम पटेल गड्डा,मीराँ पटेल गड्डा, घोड़ो पटेल गड्डा
दिल में एक ख़ाहिश हो रही थी के करवेश की एक मुस्तनद तारीख़ तलाश करके लिखी जाये अचानक मुझे पता चला के बेलगाम के मुसन्निफ़ ए ।समद ख़ानापुरी साहिब ने मुस्तनद हवालों के साथ बेलगाम । तारीख़ के आईने में(तहक़ीक़ " के अनवान से एक किताब लिखी है , जिसमें करोशी का मुफ़स्सिल ज़िक्र किया गया है उन्होंने मेरे इस काम को आसान बनादया ,अब इसी किताब से करोशी की तारीख़ आप कारीयन की ख़िदमत में पेश कर रहा हूँ
करोशी (करवेश(
चकोड़ी से 7 किलो मीटर के फ़ासिला पर मौजूद ये गांव यहां पर मौजूद हज़रत राजी नूर शाह रहमतुल्लाह अलैह उर्फ़ शाह नूर बाबा की ज़ात अक़्दस और गिट्टी बसवना मंदिर की वजह से आम-ओ-ख़ास का मर्कूज़ नज़र रहा है।दरगाह हज़रत राजी नूर शाह रहमतुल्लाह अलैह उर्फ़ शाह नूर बाबा के ताल्लुक़ से लोगों का अक़ीदा है कि यहां हर आसेब-ज़दा इन्सान बाबा की करामत की वजह से तंदरुस्त हो जाते हैं ।यही वजह है कि यहां हर मज़हब-ओ-बाण-ओ-नसल से ताल्लुक़ रखने वालों का हमेशा एक अज़दहा रहा करता है।करोशी को चकोड़ी की एक बड़ी और अहम बस्ती होने का फ़ख़र हासिल है।इस मुक़ाम को एक अहम तालीमी मर्कज़ होने का भी शरफ़ रहा है।इस गांव का जुग़राफ़ियाई रकबा 2407.6 हेक्टर है।ताज़ा-तरीन मर्दुम-शुमारी के मुताबिक़ यहां की आबादी 8،481 बताई जाती है।एक सर्वे के मुताबिक़ यहां पर कम-ओ-बेश 1،919 मकानात हैं।ये इलाक़ा अपनी ज़राअत और काशतकारी के लिए माना जाता है
हज़रत राजी नूर उर्फ़ शाह नूर बाबा दरगाह
करोशी को ये एज़ाज़ हासिल है कि इस सरज़मीन को दार उल-औलीया बैत अलफ़क़रा-ए-होने का शरफ़
हासिल है।इस सरज़मीन पर हज़रत राजी नूर उर्फ़ शाह नूर बाबा बबानग दहल ऐलान कर रहा है कि ये वो लोग हैं कि अल्लाह ताला के साथ जो ताल्लुक़ और अह्द करलेते हैं , इस को पूरा करते हैं और अपने इक़रार को नहीं तोड़ते ।" आप साहिब कशफ़-ओ-करामात थे
इस
वक़्त बीजापूर
उलूम-ओ-फ़नून
का मर्कज़
माना जाता
था जहां
बड़े बुरे
साहिब कशफ़-ओ-करामात
बुज़ुर्गान मौजूद
थे। आपकी
ज़ात-ए-अक़्दस
भी कशफ़
करामात थी
और हमावक़त
अपनी ख़ानक़ाह
में रियाज़त
और मुजाहिदात
में मशग़ूल
रहने लगे।
जिस तरह
कहा जाता
है कि
अंधेरे में
रोशनी का
वजूद बहुत
जल्द पहचाना
जाता है, आपकी
आमद और
क़ियाम की
ख़बर दूर
दूर तक
जंगल की
आग की
तरह फैल
गई , बादशाह-ए-वक़्त
यूसुफ़ आदिल
शाह तक
भी ये
ख़बर पहुंच
गई जो
उस वक़्त
तख़्त नशीन
था। आपकी
ख़ानक़ाह में
दूर दूर
से लोग
पहुंच कर
फ़्यूज़ से
मुस्तफ़ीज़ होने
लगे। यूसुफ़
आदिल शाह
भी आपके
हलक़ा इरादत
का तलबगार
हुआ और
हर माह
कम से
कम दो
एक-बार
आपकी ख़िदमत
में पहुंचने
लगा
करवेश गांव की फ़तह
रिवायत है कि यूसुफ़ आदिल शाह को आपसे गहिरी निसबत थी एक दिन जब बादशाह आपके पास था , ख़बर मिली के कि करवेश गांव फ़तह हो गया है।बादशाह ने इस को हज़रत शाह नूर बाबा की दुआओं का नतीजा समझ कर आपकी ख़िदमत में अर्ज़ किया कि ये गांव महिज़ आपकी दुआओं की वजह से फ़तह हुआ है इस लिए ये गांव आपको मुबारक हो।आदिल शाह ने फ़रमान शाही जारी करते हुए करोशी की जागीर आपके नाम मानून इनाम कर दी और इस की पेशगी का फ़रमान जारी फ़रमाया और पूरे इज़्ज़त-ओ-एहतिराम के साथ करवेश रवाना कर दिया कि इस घटाटोप अंधेर में इस्लाम की शम्मा रोशन हो सके
करवेश गांव की फ़तह
रिवायत है कि यूसुफ़ आदिल शाह को आपसे गहिरी निसबत थी एक दिन जब बादशाह आपके पास था , ख़बर मिली के कि करवेश गांव फ़तह हो गया है।बादशाह ने इस को हज़रत शाह नूर बाबा की दुआओं का नतीजा समझ कर आपकी ख़िदमत में अर्ज़ किया कि ये गांव महिज़ आपकी दुआओं की वजह से फ़तह हुआ है इस लिए ये गांव आपको मुबारक हो।आदिल शाह ने फ़रमान शाही जारी करते हुए करोशी की जागीर आपके नाम मानून इनाम कर दी और इस की पेशगी का फ़रमान जारी फ़रमाया और पूरे इज़्ज़त-ओ-एहतिराम के साथ करवेश रवाना कर दिया कि इस घटाटोप अंधेर में इस्लाम की शम्मा रोशन हो सके
हज़रत मुहम्मद मीराँ रहमतुल्लाह अलैह
कहा जाता है कि अपने कई साल तक करवेश के पटेल की हैसियत से इस गांव का नज़म-ओ-नसक़ सँभाला लेकिन आपकी शख़्सियत एक मजऱ् सय्याह की थी जो ख़ानगी उमूर की जकड़ बंदीयों से मुबर्रा रहा करता है
दुनियादारी आपका शेवा ना था लेकिन बादशाह-ए-वक़्त की दी गई इनामी ज़मीन से दस्तबरदार होना भी नागवार था।इस लिए आपने पूरी जागीर अपनी बहन के बेटे हज़रत मुहम्मद मीराँ रहमतुल्लाह अलैह
के
सपुर्द कर
दी इस
तरह आज
पाँच सौ
साल का
अरसा हुआ
कि इस
गांव की
पटेलगी और
ज़मींदारी हज़रत
मुहम्मद मीराँ
रहमतुल्लाह अलैह के औलाद
दर औलाद
में जारी-ओ-सारी
है ।और
इस ख़ानदान
के लोग
आज भी
बुला तफ़रीक़
मज़हब-ओ-मिल्लत
अवामी ख़िदमात
का काम
कर रहे
हैं।उनकी औलाद
में आज
हज़रत सूफ़ी
निसार अहमद
अख़्तर पटेल (कादरी
चिशती जुन्नैदी
)इस किताब
की तालीफ़
के वक़्त
हयात हैं
और उन्हें
की सई-ए-मुसलसल
की वजह
से हज़रत
राजे नूर
उर्फ़ शाह
नूर रहम
अल्लाह अलैहि
के हालात
से आगाही
हुई है
आदिल शाही फ़रमान
करवेश की हवालगी और ज़मींदारी के ताल्लुक़ से सुलतान आदिल शाह की तरफ़ से जारी करदा शाही फ़रमान आज भी करवेश के पटेल ख़ानदान की तहवील में बाब रहम अल्लाह अलैहि की एक मुक़द्दस अमानत के तौर पर नसल दर नसल महफ़ूज़ है ,ये वो फ़रमान है जिस पर आदिल शाह की महर सब्त है। इस में दर्ज है कि हज़रत राजे नूर शाह दरवेश को बादशाह की फ़र्माइश पर करवेश की ज़मीन अता कर दी गई है और इस ख़ानदान को कली इख़्तयारात दिए गए हैं कि साल दर साल इस ज़मीन का महसूल हासिल करते रहीं। इसी ख़ानवादे से हज़रत सूफ़ी निसार अहमद अख़्तर पटेल (कादरी चिशती जुन्नैदी हैं
हज़रत शाह नूर बाबा रहमतुल्लाह अलैह
करवेश में हज़रत शाह नूर बाबा रहमतुल्लाह अलैह
आदिल शाही फ़रमान
करवेश की हवालगी और ज़मींदारी के ताल्लुक़ से सुलतान आदिल शाह की तरफ़ से जारी करदा शाही फ़रमान आज भी करवेश के पटेल ख़ानदान की तहवील में बाब रहम अल्लाह अलैहि की एक मुक़द्दस अमानत के तौर पर नसल दर नसल महफ़ूज़ है ,ये वो फ़रमान है जिस पर आदिल शाह की महर सब्त है। इस में दर्ज है कि हज़रत राजे नूर शाह दरवेश को बादशाह की फ़र्माइश पर करवेश की ज़मीन अता कर दी गई है और इस ख़ानदान को कली इख़्तयारात दिए गए हैं कि साल दर साल इस ज़मीन का महसूल हासिल करते रहीं। इसी ख़ानवादे से हज़रत सूफ़ी निसार अहमद अख़्तर पटेल (कादरी चिशती जुन्नैदी हैं
हज़रत शाह नूर बाबा रहमतुल्लाह अलैह
करवेश में हज़रत शाह नूर बाबा रहमतुल्लाह अलैह
का
आस्ताना आज
भी मरज्जा
ख़लाइक़ है
जहां पर
आज भी
हज़ारों अक़ीदतमंद
और इरादतमंद
लोगों का
एक जम्म-ए-ग़फ़ीर
और हुजूम
हुआ करता
है आप
जिस मुक़ाम
पर आसूदा
ख़ाक हैं
इस मज़ार
मुक़द्दस पर
एक बहुत
ही ख़ूबसूरत
गुम्बद तामीर किया
गया है
हर साल
घड़ी पाड़वा
के कुछ
अरसा बाद
आपका उर्स
बड़े ही
तज़क-ओ-एहतिशाम
के साथ
मनाया जाता
है जिसमें
हज़ारों की
तादाद में
लोग बलातफ़रीक
मज़हब विमलत
शरीक होते
हैं
" बिलगाम। तारीख़ के आईने में(तहक़ीक़ " (स नंबर150 )
करोशी की तारीख़
उर्दू
: https://aftabalampatel.blogspot.com/2019/01/25-2018-
1308-2018-karoshi-patel-family.html
अंग्रेज़ी
https://aftabalampatel.blogspot.com/2020/06/a-brief-
history-of-karoshi-karwaish.html
शिजरा नसब उर्दू अंग्रेज़ी पी डी एफ़
https://aftabalampatel.blogspot.com/2020/06/blog-post_5.html
आफ़ताब आलम दस्तगीर पटेल
करोशी बेलगाम
" बिलगाम। तारीख़ के आईने में(तहक़ीक़ " (स नंबर150 )
करोशी की तारीख़
उर्दू
: https://aftabalampatel.blogspot.com/2019/01/25-2018-
1308-2018-karoshi-patel-family.html
अंग्रेज़ी
https://aftabalampatel.blogspot.com/2020/06/a-brief-
history-of-karoshi-karwaish.html
शिजरा नसब उर्दू अंग्रेज़ी पी डी एफ़
https://aftabalampatel.blogspot.com/2020/06/blog-post_5.html
आफ़ताब आलम दस्तगीर पटेल
करोशी बेलगाम
कर्नाटक (भारत(
8105493349
8105493349
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